हर नवयुवकों के लिये मिशाल हैं, डीएम डॉ नीलेश चन्द्र वर्तमान पश्चिमी चम्पारण के जिलाधिकारी डॉ निलेश रामचंद्र देवरे ने अपने 31 साल के उम्र म...
हर नवयुवकों के लिये मिशाल हैं, डीएम डॉ नीलेश चन्द्र
वर्तमान पश्चिमी चम्पारण के जिलाधिकारी डॉ निलेश रामचंद्र देवरे ने अपने 31 साल के उम्र में जो मुकाम हासिल किया है वो छात्रो के लिए प्रेरणादायक है।
डीएम डॉ नीलेश जी का मानना है कि आगे बढ़ने के साथ साथ माता-पिता व बड़ो का का सम्मान करना जरूरी है।
इजारत के लिए माया, इमारत के लिए पाया और आगे बढ़ने के लिए बड़ो का साया बहुत ही जरूरी हैं।
महाराष्ट्र मैट्रिक बोर्ड के टॉपर रहे डीएम डॉ निलेश जी की हौसले का उस समय परवान चढ़ा, जब टॉपर बनने के बाद उन्हें डीएम के हाथों सम्मानित होने का अवसर मिला। ईसके बाद डॉ नीलेश जी ने कभी पीछे मुड़ कर नही देखा। हालांकि मैट्रिक टॉपर की खुमारी इनपर इस कदर हावी हुई, कि इंटरमीडिएट में इनके नंबर कम आ गये। बकौल डीएम वह इंजीनियरिंग करना चाहते थे, लेकिन इनके पिता श्री आरडी देवरे परिवार के अन्य लड़को के तरह उन्हें डॉक्टर बनाना चाहते थे। लेकिन इंटरमीडिएट में कम नंबर होने के वजह से उन्हें सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला नही मिल सका। फिर इन्होंने अपनी माँ से पैसे लेकर पुणे के एक इंजिनीरिंग कॉलेज में दाखिला ले लिया। लेकिन वहाँ ट्रेंड और फिर कॉलेज में इंजीनियर बनने के लिए हज़ारो की भीड़ देखने पर डीएम ने उनसे अलग होने का इरादा किया। फिर उन्होंने एमबीबीएस में एडमिशन ले लिया।
डीएम डॉ नीलेश सर ने बताया कि एमबीबीएस की तीन साल को पढ़ाई करने के बाद अपने इंटर्नशिप के दौरान उन्होंने वहां के अस्पताल के चिकित्सा पदाधिकारी को ही सबसे बड़ा अधिकारी माना। कारण की वो 9 बजे से थोड़ा भी लेट होने पर हाज़री काट देते थे, और खरी-खोटी भी सुनाते थे। लगता था कि उनसे बड़ा कोई नहीं हैं। लेकिन इसी बीच एक दिन उन्होंने देखा कि नगर आयुक्त (आईएएस अधिकारी) दौरे पर आए थे, और चिकित्सा पदाधिकारी उनके पीछे-पीछे दौड़ रहे थे। तब उन्होंने आईएएस बनने का मन बना लिया।
झूठ की बुनियाद पर कुछ नही टिकता, मिली थी सीख
डीएम ने बताया कि एमबीबीएस के इंटर्नशिप के दौरान 2 माह के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर गुजरने होंते थे। वो आइइएस बनने का मन बना चुके थे, और उनके दोस्त पीजी की तैयारी करने के लिए पीएचसी पर काम से बंक मारकर पढाई का निश्चय किए। सेटिंग भी हो गयी थी, लेकिन उसी 16 दिसंबर के रात जब वो और इनके चार दोस्त इस झूठ से पहले पार्टी के लिए जा रहे थे। तभी एक्सीडेंट में घायल होकर 3 महीने हॉस्पिटल में गुजारे। तब उन्होंने सबक सीखा कि हमेशा सच की बुनियाद पर ही आगे बढ़ने की कोशिश होनी चाहिए। झूठ के सहारे पर ज्यादा समय नहीं टिका जा सकता।
डीएम डॉ नीलेश जी ने बताया की तीन माह में तैयारी कर उन्हीने आइएएस की परीक्षा पास की, हालांकि इस बीच एक बार मे वो 24घण्टे की पढ़ाई करते थे। उसके बाद 6 से 7 घण्टे की नींद लेते और फिर पढ़ने बैठ जाते, फिर अगले 24 घण्टे तक बिना खुद को किसी अन्य चीज में उलझाएं पढ़ाई करते थे। 24घण्टे में बस एक बार ही खाना खाते ताकि समय बचें, इस तरह उन्होंने अपने पहले ही प्रयास में ही आईएएस की परीक्षा में सफलता पायी।
(स्रोत: मैं हूँ बेतिया, प्रभात खबर)
एक आम बेतिया के नागरिक की डीएम डॉ नीलेश जी के लिए सोच
डीएम डॉ नीलेश सर को 31जुलाई2017 को जिला पश्चिमी चम्पारण का जिलाधिकारी नियुक्त किया गया। 2अगस्त से नीलेश सर ने अपना कार्यभारों को संभाला ही था कि अगस्त2017 शुरुआत में ही आई भयानक प्राक्रतिक बाढ़ इनके लिए एक बड़ी चुनौती साबित हुई, लेकिन अपने निष्ठा एवं लोगो की दर्द को खुद का दर्द समझ दिन रात इन्होंने बाढ़ पीड़ितों के राहत के लिए कार्य किया।
घटनास्थलों से लेकर राहत सामग्रीयों का इंतजाम एवं लोगो को सुरक्षित करने की हर मुमकिन कोशिस ने हम जिलावासियों के दिल मे अपनी एक स्तरात्मक छवि स्थापित कर लिए, और उस दुःखद आपदा से अपने जिलेवासियों को बचाने के साथ साथ पूर्वी चम्पारण के लोगो के राहतसमाग्री के लिए भरपूर कोशिश की, इस भारी आपदा से निकलने के बाद, अपने कड़े कड़े फैसलों से जिलेवासियों के दिल मे जगह बनाते गए। जिसमे असमाजिक तत्वो पर नकेल कसने से लेकर आपराधिक गतिविधियों में शामिल लोगों पर प्रशासनिक नजर रखवाने से ले, गन्दी गानों पर बैन, छेड़खानी करने वाले नवयुवकों पर कठोर सजा, दारूबाजो को पकड़ने का आदेश इत्यादि शामिल रहें। और फिर इनका फिर से एक बड़ा कदम 29नवम्बर2017 को हुआ, जब आईटीआई में बसे हज़ारो अतिक्रमणकारियों को हटाने के लिए बुल्डोजर चहड़ायें (यकीन माने पहले को मैं इसके खिलाफ था लेकिन इसके कुछ दिनों बाद अहसास हुआ कि डीएम डॉ नीलेश सर ने जो भी किया वो हम बेतियावासियों के हित मे था)..फिर आईटीआई पर से अतिक्रमण हटाने के बाद वहाँ बुद्धा पार्क के तर्ज पर पार्क बनाने का उनकी घोषणा ने फिर से लोगो मे एक हर्ष का मौका दे दिया। उसके बाद से तो बेतिया में अतिक्रमण कर रहने वालों के लिए तो जैसे प्रशासन का कहर ही बरसा, मीना बज़ार, हरिवाटिका चौक, कॉलेक्ट्रीट, सुप्रिया रोड़, इत्यादियों पर अतिक्रमणकारियों पर लगातार डीएम सर का डंडा चलता गया। इधर ही कुछ महीने पहले डीएम सर, एमजेके हॉस्पिटल का निरीक्षण करने गए, मुख्य गेट पर 5मिनट जाम में फँसने के बाद, इन्हें स्थानीय लोगो की समस्या का अनुभव हुआ, उसके अगले ही दिन एमजेके हॉस्पिटल रोड़ पर बसे हर अतिक्रमणकारियों पर बुल्डोजर चला रास्ते को खाली करवाएं, इसके कुछ दिनों बाद सागर पोखर पर बसे अतिक्रमणकारियों पर बुल्डोजर चला वहाँ वॉकिंग जोन स्थापित करने का आदेश दे दिए।
फिर हाल में ही राज देवड़ी पर बसे अतिक्रमणकारियों पर प्रशासन का डंडा चला और कल के ही दिन छावनी ओवरब्रिज बनने में सबसे बड़ी समस्या वहाँ के अतिक्रमणकारियों पर बुल्डोजर चहड़ा कर ब्रिज की एक बड़ी रोड़ा को साफ कर दिया। इन सब के अलावा भी बेतिया एवं जिले में पर्यटकों को लुभाने हेतु अनेकों घोषणाएं एवं स्वीकृति भी दिलाई..इसके अलावे जिले को स्वच्छ बनाने में एवं खुले में शौच करने वालो पर लगाम लगाने के साथ ही बेतिया नगर परिषद एवं जिले शहर के मुख्य प्रतिनिधियों के कदम में कदम मिला शहर जिले के विकाश में भी इनका योगदान हमेशा से रहा। साथ सोशल मीडिया पर कॉलेक्ट्रीट नाम से पेज बना स्थानीय लोगो को हर चीज का जानकारी देने एवं स्थानीय लोगो के समस्याओं को सुन उनका निवारण करने का पहल करना पश्चिमी चम्पारण में पहली दफा हुआ हैं। हर रोज बेतिया में घटित घटनाओं एवं कार्यो की झलक हम उनके पेज द्वारा देख पाते हैं।
आने वाले कुछ सालों में बेतिया की खूबसूरती में डीएम डॉ नीलेश सर का एक अहम योगदान हम सभी को दिखता नजर आ रहा हैं।
इस एक साल में जिले के प्रत्येक लोगो के दिल मे हमारे जिले के डीएम नीलेश सर के लिए एक खास जगह बन चुकी हैं।
वर्तमान पश्चिमी चम्पारण के जिलाधिकारी डॉ निलेश रामचंद्र देवरे ने अपने 31 साल के उम्र में जो मुकाम हासिल किया है वो छात्रो के लिए प्रेरणादायक है।
महाराष्ट्र के सतारा जिले से ताल्लुक रखने वाले डीएम निलेश जी को भीड़ से अलग रखने की चाहत ने उन्हें आइएएस बना दिया। हालांकि इससे पहले इंजीनियरिंग की पढ़ाई छोड़ एमबीबीएस की फिर महज तीन माह की तैयारी के बाद आइएएस की परीक्षा पास की। डीएम डॉ नीलेश जी की ये कहानी न सिर्फ तैयारी करने वाले छात्रों को प्रेरित करने वाली है, बल्कि उन छात्रों के लिये सिख भी हैं। जो कुछ अलग करना चाहते है।
डीएम डॉ नीलेश जी का मानना है कि आगे बढ़ने के साथ साथ माता-पिता व बड़ो का का सम्मान करना जरूरी है।
इजारत के लिए माया, इमारत के लिए पाया और आगे बढ़ने के लिए बड़ो का साया बहुत ही जरूरी हैं।
महाराष्ट्र मैट्रिक बोर्ड के टॉपर रहे डीएम डॉ निलेश जी की हौसले का उस समय परवान चढ़ा, जब टॉपर बनने के बाद उन्हें डीएम के हाथों सम्मानित होने का अवसर मिला। ईसके बाद डॉ नीलेश जी ने कभी पीछे मुड़ कर नही देखा। हालांकि मैट्रिक टॉपर की खुमारी इनपर इस कदर हावी हुई, कि इंटरमीडिएट में इनके नंबर कम आ गये। बकौल डीएम वह इंजीनियरिंग करना चाहते थे, लेकिन इनके पिता श्री आरडी देवरे परिवार के अन्य लड़को के तरह उन्हें डॉक्टर बनाना चाहते थे। लेकिन इंटरमीडिएट में कम नंबर होने के वजह से उन्हें सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला नही मिल सका। फिर इन्होंने अपनी माँ से पैसे लेकर पुणे के एक इंजिनीरिंग कॉलेज में दाखिला ले लिया। लेकिन वहाँ ट्रेंड और फिर कॉलेज में इंजीनियर बनने के लिए हज़ारो की भीड़ देखने पर डीएम ने उनसे अलग होने का इरादा किया। फिर उन्होंने एमबीबीएस में एडमिशन ले लिया।
डीएम डॉ नीलेश सर ने बताया कि एमबीबीएस की तीन साल को पढ़ाई करने के बाद अपने इंटर्नशिप के दौरान उन्होंने वहां के अस्पताल के चिकित्सा पदाधिकारी को ही सबसे बड़ा अधिकारी माना। कारण की वो 9 बजे से थोड़ा भी लेट होने पर हाज़री काट देते थे, और खरी-खोटी भी सुनाते थे। लगता था कि उनसे बड़ा कोई नहीं हैं। लेकिन इसी बीच एक दिन उन्होंने देखा कि नगर आयुक्त (आईएएस अधिकारी) दौरे पर आए थे, और चिकित्सा पदाधिकारी उनके पीछे-पीछे दौड़ रहे थे। तब उन्होंने आईएएस बनने का मन बना लिया।
झूठ की बुनियाद पर कुछ नही टिकता, मिली थी सीख
डीएम ने बताया कि एमबीबीएस के इंटर्नशिप के दौरान 2 माह के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर गुजरने होंते थे। वो आइइएस बनने का मन बना चुके थे, और उनके दोस्त पीजी की तैयारी करने के लिए पीएचसी पर काम से बंक मारकर पढाई का निश्चय किए। सेटिंग भी हो गयी थी, लेकिन उसी 16 दिसंबर के रात जब वो और इनके चार दोस्त इस झूठ से पहले पार्टी के लिए जा रहे थे। तभी एक्सीडेंट में घायल होकर 3 महीने हॉस्पिटल में गुजारे। तब उन्होंने सबक सीखा कि हमेशा सच की बुनियाद पर ही आगे बढ़ने की कोशिश होनी चाहिए। झूठ के सहारे पर ज्यादा समय नहीं टिका जा सकता।
डीएम डॉ नीलेश जी ने बताया की तीन माह में तैयारी कर उन्हीने आइएएस की परीक्षा पास की, हालांकि इस बीच एक बार मे वो 24घण्टे की पढ़ाई करते थे। उसके बाद 6 से 7 घण्टे की नींद लेते और फिर पढ़ने बैठ जाते, फिर अगले 24 घण्टे तक बिना खुद को किसी अन्य चीज में उलझाएं पढ़ाई करते थे। 24घण्टे में बस एक बार ही खाना खाते ताकि समय बचें, इस तरह उन्होंने अपने पहले ही प्रयास में ही आईएएस की परीक्षा में सफलता पायी।
(स्रोत: मैं हूँ बेतिया, प्रभात खबर)
एक आम बेतिया के नागरिक की डीएम डॉ नीलेश जी के लिए सोच
डीएम डॉ नीलेश सर को 31जुलाई2017 को जिला पश्चिमी चम्पारण का जिलाधिकारी नियुक्त किया गया। 2अगस्त से नीलेश सर ने अपना कार्यभारों को संभाला ही था कि अगस्त2017 शुरुआत में ही आई भयानक प्राक्रतिक बाढ़ इनके लिए एक बड़ी चुनौती साबित हुई, लेकिन अपने निष्ठा एवं लोगो की दर्द को खुद का दर्द समझ दिन रात इन्होंने बाढ़ पीड़ितों के राहत के लिए कार्य किया।
घटनास्थलों से लेकर राहत सामग्रीयों का इंतजाम एवं लोगो को सुरक्षित करने की हर मुमकिन कोशिस ने हम जिलावासियों के दिल मे अपनी एक स्तरात्मक छवि स्थापित कर लिए, और उस दुःखद आपदा से अपने जिलेवासियों को बचाने के साथ साथ पूर्वी चम्पारण के लोगो के राहतसमाग्री के लिए भरपूर कोशिश की, इस भारी आपदा से निकलने के बाद, अपने कड़े कड़े फैसलों से जिलेवासियों के दिल मे जगह बनाते गए। जिसमे असमाजिक तत्वो पर नकेल कसने से लेकर आपराधिक गतिविधियों में शामिल लोगों पर प्रशासनिक नजर रखवाने से ले, गन्दी गानों पर बैन, छेड़खानी करने वाले नवयुवकों पर कठोर सजा, दारूबाजो को पकड़ने का आदेश इत्यादि शामिल रहें। और फिर इनका फिर से एक बड़ा कदम 29नवम्बर2017 को हुआ, जब आईटीआई में बसे हज़ारो अतिक्रमणकारियों को हटाने के लिए बुल्डोजर चहड़ायें (यकीन माने पहले को मैं इसके खिलाफ था लेकिन इसके कुछ दिनों बाद अहसास हुआ कि डीएम डॉ नीलेश सर ने जो भी किया वो हम बेतियावासियों के हित मे था)..फिर आईटीआई पर से अतिक्रमण हटाने के बाद वहाँ बुद्धा पार्क के तर्ज पर पार्क बनाने का उनकी घोषणा ने फिर से लोगो मे एक हर्ष का मौका दे दिया। उसके बाद से तो बेतिया में अतिक्रमण कर रहने वालों के लिए तो जैसे प्रशासन का कहर ही बरसा, मीना बज़ार, हरिवाटिका चौक, कॉलेक्ट्रीट, सुप्रिया रोड़, इत्यादियों पर अतिक्रमणकारियों पर लगातार डीएम सर का डंडा चलता गया। इधर ही कुछ महीने पहले डीएम सर, एमजेके हॉस्पिटल का निरीक्षण करने गए, मुख्य गेट पर 5मिनट जाम में फँसने के बाद, इन्हें स्थानीय लोगो की समस्या का अनुभव हुआ, उसके अगले ही दिन एमजेके हॉस्पिटल रोड़ पर बसे हर अतिक्रमणकारियों पर बुल्डोजर चला रास्ते को खाली करवाएं, इसके कुछ दिनों बाद सागर पोखर पर बसे अतिक्रमणकारियों पर बुल्डोजर चला वहाँ वॉकिंग जोन स्थापित करने का आदेश दे दिए।
फिर हाल में ही राज देवड़ी पर बसे अतिक्रमणकारियों पर प्रशासन का डंडा चला और कल के ही दिन छावनी ओवरब्रिज बनने में सबसे बड़ी समस्या वहाँ के अतिक्रमणकारियों पर बुल्डोजर चहड़ा कर ब्रिज की एक बड़ी रोड़ा को साफ कर दिया। इन सब के अलावा भी बेतिया एवं जिले में पर्यटकों को लुभाने हेतु अनेकों घोषणाएं एवं स्वीकृति भी दिलाई..इसके अलावे जिले को स्वच्छ बनाने में एवं खुले में शौच करने वालो पर लगाम लगाने के साथ ही बेतिया नगर परिषद एवं जिले शहर के मुख्य प्रतिनिधियों के कदम में कदम मिला शहर जिले के विकाश में भी इनका योगदान हमेशा से रहा। साथ सोशल मीडिया पर कॉलेक्ट्रीट नाम से पेज बना स्थानीय लोगो को हर चीज का जानकारी देने एवं स्थानीय लोगो के समस्याओं को सुन उनका निवारण करने का पहल करना पश्चिमी चम्पारण में पहली दफा हुआ हैं। हर रोज बेतिया में घटित घटनाओं एवं कार्यो की झलक हम उनके पेज द्वारा देख पाते हैं।
बेतिया को अतिक्रमणमुक्त करने के लिए सारे शहरवासियों के तरफ से डॉ नीलेश सर को धन्यवाद
आने वाले कुछ सालों में बेतिया की खूबसूरती में डीएम डॉ नीलेश सर का एक अहम योगदान हम सभी को दिखता नजर आ रहा हैं।
इस एक साल में जिले के प्रत्येक लोगो के दिल मे हमारे जिले के डीएम नीलेश सर के लिए एक खास जगह बन चुकी हैं।
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