मुग़ल कालीन हिन्दुस्तान में सम्राट अकबर के समय बिहार सूबे को छोटे-छोटे टुकड़ों में विभाजित कर 6 अलग-अलग सरकारें कायम की गई थी, जिनमें से ...
मुग़ल कालीन हिन्दुस्तान में सम्राट अकबर के समय बिहार सूबे को छोटे-छोटे टुकड़ों में विभाजित कर 6 अलग-अलग सरकारें कायम की गई थी, जिनमें से चम्पारण भी एक था. बताया जाता है कि 1579 में बंगाल, बिहार और उड़ीसा में विद्रोह हो गया. सम्राट को कमज़ोर समझ अफगान के पठान भी बागी हो गए, बंजारों का लूट-पाट इतना बढ़ गया कि सम्राट अकबर चिन्तित हो गए. उनके दरबार में एक सेनापति उदय करण सिंह थे. इस विद्रोह को दबाने का भार उन्हें सौंपा गया. पटना के पास गंगा पार करते ही हाजीपुर में उदय करण सिंह का मुकाबला बंजारों से हो गया. लड़ाई में कुछ बंजारे मारे गए और बाकी बन्दी बना लिए गए. इसके बाद पूरा विद्रोह शान्त व खत्म हो गया..
सम्राट अकबर को जब इस जीत की सूचना मिली तो उन्होंने उदय करण सिंह को इनाम स्वरूप चम्पारण सरकार की बागडोर सौंपने का आदेश दे दिया. अकबर के जीवन पर्यन्त उदय करण सिंह एवं उनके बाद उदय करण सिंह के लड़के जदु सिंह चम्पारण की देखभाल करते रहे. इतिहास गवाह है कि राजा की उपाधि जदु सिंह के लड़के उग्रसेन सिंह को सम्राट शाहजहां के शासनकाल में सन् 1629 में दी गई. अर्थात बेतिया राज के प्रथम राजा उग्रसेन सिंह कहलाए. सन 1659 में उग्रसेन सिंह का देहान्त हो गया. उनके बाद उग्रसेन सिंह के एकमात्र पुत्र गज सिंह राजा बने जो 1694 तक राज करके स्वर्ग सिधार गए. इनके सबसे बड़े लड़के दिलीप सिंह को 1694 में राजा बनाया गया, लेकिन 1715 में यह भी परलोक वासी हो गए. इसके बाद इनके बड़े पुत्र ध्रुव सिंह को राजा बनाया गया. यह अब तक के सबसे सफल राजा माने गए. इन्होंने ही सुगांव से हटाकर बेतिया को अपनी राज की राजधानी बनाया.
कहा जाता है कि ध्रुव सिंह को कोई पुत्र नहीं हुआ. केवल दो लड़कियां हुई. ध्रुव सिंह ने देखा कि उनके पुत्र हीन होने के चलते उनका राज भाईयों के हाथ चला जाएगा, यही सोच कर उन्होंने अपने जीवन काल में ही अपने पुत्री के पुत्र युगलकिशोर सिंह को राज तिलक देकर राजा बना दिया. इस तरीके से ध्रुव सिंह ने अपने भाईयों के हाथ रियासत की सत्ता जाने से बचा तो ली मगर परिवार के बीच खाई जरूर पड़ गई. ध्रुव सिंह की मृत्यु 1762 में हो गई.
ध्रुव सिंह के मृत्यु के बाद राजा युगलकिशोर सिंह के ताज में कांटें लग गए. एक तरफ नाना के भाईयों का विरोध और दूसरी तरफ ईस्ट इंडिया कम्पनी की दहशत.. तनाव में आकर वे 1766 में ईस्ट इंडिया कम्पनी के विरूद्ध विद्रोह कर बैठे. विद्रोह दबाने के लिए कोलोनेल बारकर की अगुवाई में ईस्ट इंडिया कम्पनी के सिपाहियों ने बेतिया राज पर चढ़ाई कर दी। आखिरकार युगलकिशोर को भागना पड़ा. राजा युगलकिशोर के भागने के बाद ईस्ट इंडिया कम्पनी ने पूरे चम्पारण सरकार को अपने कब्ज़े में ले लिया.
वे पटना राजस्व परिषद द्वारा निर्गत परवाने के अनुपालन में सारण सरकार के सुपरवाइजर के समक्ष 25 मई 1771 को उपस्थित हुए और आत्म-समर्पण के बाद अगस्त 1771 में परगना मझौआ एवं सिमरौन हेतु अम्लदस्तक तैयार कर उन्हें दे दिया गया. युगलकिशोर सिंह की मृत्यु 1784 में हो गई, इसके बाद उनके पुत्र बृजकिशोर सिंह अपने पिता का मालिकाना हक पाते रहे. 1816 में यह भी दुनिया छोड़ कर चले गए..
इसके बाद इनके बड़े लड़के आनन्द किशोर सिंह ने सारण के कलेक्टर के यहां दाखिल खारिज कराकर एवं कुछ शर्तो को कबूल करके बेतिया राज को प्राप्त किया और इन्हें इस समय महाराजा की उपाधि से विभूषित किया गया. आनन्द किशोर सिंह संगीत प्रेमी थे, इन्हीं के समय ध्रुपद गायन की परम्परा बेतिया में चली. 29 जनवरी 1838 को महाराजा आनन्द किशोर स्वर्ग सिधार गए. इन्हें कोई संतान नहीं थी, इसलिए उनके भाई नवल किशोर राजा हुए. इन्होंने बेतिया राज का काफी विस्तार किया और 25 सितम्बर 1855 को यह भी काल के गाल में समा गए. इसके बाद पहली पत्नी के पुत्र राजेन्द्र किशोर सिंह गद्दी पर बैठे. इन्होंने बेतिया राज का काफी विस्तार किया. इनके दौर में ही बेतिया में रेलवे लाईन बिछी और ट्रेन चली. बेतिया का तारघर भी इनके कार्यकाल में बना. इन्होंने ही बनारस में अवतल बनवाएं और इलाहाबाद में घर खरीदा, (विशेष बात यह है कि इसी घर को देखने के लिए सिनेमा जगत के महानायक अमिताभ बच्चन ने बचपन में चोरी की थी.) 28 दिसम्बर 1883 को वे भी भगवान के प्यारे हो गए..
इनके मौत के बाद महाराजा हरेन्द्र किशोर राजगद्दी पर बैठे. और यही बेतिया राज के अंतिम महाराजा थे. इन्हें कोई संतान नहीं थी. 24 मार्च 1893 को इस दुनिया को अलविदा कह गए. इनकी दूसरी पत्नी 27 नवम्बर 1954 तक बेतिया राज दरबार को रौशन रखा. उसके बाद से बेतिया राज हमेशा-हमेशा के लिए अंधेरे में चला गया..
Bettiah Raj |
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Bettiah was the capital of the princely estate of Bettiah, known as Bettiah Raj, one of the great estates of North Bihar. Its first ruler Raja Ugra Sen Singh Singh recieved the title of Raja from the Mughal Emperor Shah Jehan. The rulers of Bettiah Raj were Hindu Jethoria Brahmin. It was spread over an area of about 4,724 km2, with their properties in many other parts of India, including Calcutta (now Kolkata), Varanasi, Gorakhpur. At Bettiah, among its palaces and office, it had a record room or muhafizkhana. Since 1897, the Bettiah Raj was under the Court of Wards, a colonial institution whose function was to oversee the administration of the estates which had no male heir to succeed. The Bettiah Raj, still has its own officials who oversee day to day administration of its landholdings and other assets, that are not confined to Bettiah, but are in several parts of the country. Bettiah Raj's houses the official records of administrative and legal affairs of the Raj for the past two hundred and fifty years or so, which are stored in two large halls having an storage space of 40,000 and 72,000 cubic feet respectively, with a shelf space that is about half a kilometer in length. It is in fact a rich repository of source materials for the study of the agrarian and political history not only of the Bettiah Raj, but beyond that also. The records are placed in bastas, which are individual bundles of records wrapped in cloth. The records includes rent registers and receipts, cash- books, village notes and settlement records, village maps, legal proceedings and historical letters covering more than 200 years of history. Unfortunately, the order in which the records were classified is now lost and most of them can only be found by sheer guess work or even by accident! The Dynasty The first ruler of Bettiah Raj Ugra Sen Singh Singh recieved the title of Raja from the Mughal Emperor Shah Jehan (1628/1658). The rulers were .... Raja Ugra Sen Singh Singh (1628-1658) Raja Gaj Singh (1659-1694), married and had issue. He died 1694. Raja DALIP SINGH (qv) SON2, married and had issue. Raja SRIKRISHNA SINGH, 1st Raja of Seohar in Muzaffarpur. SON3, ancestor of the Zamindars of Madhubani in Darbhanga. Raja DALIP SINGH 1694/- Raja DHANPAT SINGH (son) fl.1745 Raja JUGAL KESHWAR SINGH (maternal grandson) fl.1766 ...... Maharaja ANANDA KESHWAR SINGH Bahadur (grandson), granted the title of Maharaja Bahadur for personal use only. Maharaja RAJENDRA KESHWAR SINGH Bahadur (nephew) 1855/1883 Maharaja Sir HARENDRA KESHWAR SINGH Bahadur (son) 1883/-, born March 1854 (#1), Maharaja Bahadur [cr.1884], K.C.I.E. [cr.1888], married 2ndly 1893 Maharani Janki Kaur 1870-1955. He died in 1893, following which the state lapsed.. Source : "The Golden Book of India" |
List Of Royal Family Members Of Bettiah Raj
PREDECESSORS AND SHORT HISTORY: The
history of the Bettiah Raj family can be traced back to 1244 when Raja
Gungeswar Deo left Nimkhar Misiri in Lucknow, and established himself
at Jaithur, in the district of Saran in the Tirhut division of Bihar
and Orissa. The
first ruler recieved the title of Raja from the Mughal Emperor Shah
Jehan (1628/1658). Rulers were…
history of the Bettiah Raj family can be traced back to 1244 when Raja
Gungeswar Deo left Nimkhar Misiri in Lucknow, and established himself
at Jaithur, in the district of Saran in the Tirhut division of Bihar
and Orissa. The
first ruler recieved the title of Raja from the Mughal Emperor Shah
Jehan (1628/1658). Rulers were…
- Raja UGRA SEN SINGH,
1st Raja of Bettiah; ninth in descent from Raja Gungeswar Deo; a
Jethoria Brahmin
of the Kashyap
gotra and founder of the state, married and had issue.- Raja Gaj Singh (qv)
- Raja GAJ SINGH,
2nd Raja of Bettiah 1659/1694, married
and had issue.
He died 1694.- Raja Dalip Singh (qv)
- Rajkumar Kanak Singh
- Rajkumar Kirat Singh
- Rajkumar Prithi Singh
- Rajkumar Prithi Singh, married and
had issue.- Raja Srikishen Singh, 1st Raja of Sheohar
in Muzaffarpur.
- Raja Srikishen Singh, 1st Raja of Sheohar
- Rajkumar Satrajit Singh [Chatrajit], married and had
issue.- Kunwar Abdhut Singh, ancestor of
the Zamindars
of Madhubani in Darbhanga, married and had issue.- Several generations
- Rajkumar Babu Bishun Prakash Narain Singh, 5th in
descent from Kunwar Abdhut Singh, claimant for Bettiah Raj in 1905.
- Kunwar Abdhut Singh, ancestor of
- Raja DALIP SINGH,
3rd Raja of Bettiah 1694/1715, married and had issue, five sons.- Raja Dhrub Singh [Dhanpat Singh] (qv)
- Raja DHRUB SINGH
[Dhanpat Singh], 4th Raja of Bettiah 1715/1762,
married and had issue. He died spm1762.- Rajkumari Benga Babui, married
Babu Raghunath Singh, a
Bhumihar Brahmin of the Gautam gotra, and had issue.
- Rajkumari Benga Babui, married
- Raja Jugal Kishore Singh (qv)
- Rajkumari Chinga Babui
- Raja JUGAL KISHORE SINGH,
5th Raja of Bettiah 1762/1783,
rebelled against
the British in 1765, and the state was taken under their management.
It was later
restored to him in 1771, he married and had issue. He died 1783.- Raja Bir Kishore Singh (qv)
- Raja BIR KISHORE SINGH,
6th Raja of Bettiah 1783/1816,
married and
had issue. He died 1816.- Maharaja Ananda Kishore Singh Bahadur
(qv) - Maharaja Nawal Kishore Singh Bahadur
(qv)
- Maharaja Ananda Kishore Singh Bahadur
- Maharaja ANANDA KISHORE
SINGH Bahadur, 7th Raja of Bettiah
1816/1838,
granted the title of Maharaja Bahadur for personal use in 1830, and as
a hereditary title in 1837. He
died sp 1838.
- Maharaja NAWAL KISHORE
SINGH Bahadur, 8th Raja of Bettiah
1838/1855, married
and had issue. He died 1855.- Maharaja Rajendra Kishore Singh
Bahadur - Maharajkumar Mahendra Kishore Singh, died sp before 1883.
- Maharaja Rajendra Kishore Singh
- Maharaja RAJENDRA KISHORE
SINGH Bahadur, 9th Raja of Bettiah
1855/1883, married and had issue. He died 26th March 1883.- Maharaja Sir Harendra Kishore Singh
Bahadur (qv)
- Maharaja Sir Harendra Kishore Singh
- Maharaja Sir HARENDRA
KISHORE SINGH
Bahadur K.C.I.E., 10th Raja of Bettiah 1883/1893, born March
1854 (#1) and
succeeded in 1883,
Maharaja Bahadur [cr.1884], K.C.I.E. [cr. 28.6.1888], M.L.C. (Bengal),
appointed in January 1891, married 1stly, Maharani
Sheo Ratna Kuwar, died 24th March 1896, married 2ndly, 1893, Maharani
Janaki
Kuwar, born 1870, died 27th November 1954, daughter of Babu Shri Sidha
Narain Singh of Anapur Zamindari in
Bihar. He died sp on 26th
March
1893.
- Maharani Sheo Ratna Kuwar,
11th Rani of Bettiah 1893/1896, died 24th March 1896.
- Maharan Janki Kuwar,
12th Rani of Bettiah 1896/1897, born 1870, daughter of Babu
Shri Sidha Narain Singh of Anapur
Zamindari in Bihar, she was unable to manage the estate, which
was
taken over by the Court of Wards till her death, whereupon it escheated
to the state. She died sp on 27th November 1954.
OTHER MEMBERS:
- Rajkumari Beni Kanwar,
daughter of the Raja of Bettiah in Champaran, Bihar, married Raja
Raghunath Shah of Agori-Bahar, and had issue, one
son and four daughters.
- Rani Vedsharan
Kunwari, daughter of the Raja of Bettiah in Champaner,
Bihar, married Raja Kaishav Sharan Shah of Agori-Bahar, died sp on 4th March
1871.
How To Shala Darpan Login?