बेतिया: मुफस्सिल थाना क्षेत्र के पूर्वी करगहिया गांव निवासी सुनील साह (40 वर्ष) ने कर्ज की बोझ व आर्थिक तंगी से परेशान होकर सोमवार की दोपहर...
बेतिया: मुफस्सिल थाना क्षेत्र के पूर्वी करगहिया गांव निवासी सुनील साह (40 वर्ष) ने कर्ज की बोझ व आर्थिक तंगी से परेशान होकर सोमवार की दोपहर अपने घर में फंदा लगा आत्महत्या कर ली।
घटना की सूचना पर पहुंची मुफस्सिल पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए एमजेके अस्पताल भेज दिया है। पुलिस मामले में अस्वाभाविक मौत का मामला दर्ज कर अनुसंधान में जुट गई है। सुनील मजदूरी करता था। उसके पास से सुसाइड नोट भी बरामद किया गया है जिसमें उसने आत्महत्या का कारण कर्ज का बोझ तथा आर्थिक तंगी बताया है। कहा है कि इसमें उसकी पत्नी या अन्य किसी का कोई दोष नहीं है। वह अपनी पत्नी, चार बच्चों और माता के साथ रहता था। ग्रामीणों ने बताया कि मृतक की पत्नी भागमती देवी बेतिया के एक पुलिस अधिकारी के आवास पर दैनिक मजदूरी करती थी। सुनील के चार बच्चे हैं। सबसे बड़ी पुत्री गुड़िया सरकारी विद्यालय में छठे वर्ग की छात्रा है। पुत्र चंदन तथा पुत्री ब्यूटी चौथे वर्ग की छात्रा है। सबसे छोटी पुत्री दिलखुश दूसरे वर्ग में पढ़ती है। एसपी जयंतकांत ने बताया कि सुनील साह के शव को कब्जे में ले पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। मृतक के पास से सुसाइड नोट बरामद हुआ है। इस मामले में मुफस्सिल पुलिस को अस्वाभाविक मौत का मामला दर्ज कर अनुसंधान करने का निर्देश दिया गया है। ग्रामीण सूत्रों के अनुसार भागमती देवी सोमवार की सुबह अपने बच्चों को स्कूल भेजकर घर से काम करने निकली हुई थी। उसका पति सुनील साह एक सप्ताह से काम करने नहीं जा रहा था, वह घर पर ही था। दोपहर को जब बच्चे स्कूल से आए, तो देखा कि पिता फंदे से घर में लटके हुए है। बच्चे रोते हुए बाहर निकले और घटना से ग्रामीणों को अवगत कराया। मामले की जानकारी होते ही पुलिस अधीक्षक जयंतकांत व उनकी पत्नी स्मृति पासवान घटना स्थल पर पहुंची। तब तक मुफस्सिल थानाध्यक्ष उपेन्द्र कुमार व नगर थानाध्यक्ष नित्यानंद चौहान भी वहां पहुंच गए थे।
युवक की बच्ची को गले लगा रो पड़ीं एसपी की पत्नी..
एसपी के घटनास्थल की ओर निकलने की सूचना पर मुफस्सिल पुलिस आईटीआई के पास युवक का घर ढूंढ़ रही थी। तभी एसपी की गाड़ी अरेराज रोड में तेजी से आगे बढ़ी। उन्हें देखते ही मुफस्सिल थानाध्यक्ष भी पीछे लग गए।
गाड़ियों का काफिला युवक के दरवाजे पर जाने वाली संकरी गली के पास रुका। गाड़ी रुकते ही एसपी व उनकी पत्नी तेजी से युवक की घर के तरफ बढ़ गए। एक कमरे वाले घर में शव पड़ा था। अंदर महिलाओं की भीड़ थी।
एसपी की पत्नी भी कमरे के अंदर गयी। कुछ देर बाद शव को बाहर निकाला गया। वहां लोगों की भीड़ जमा थी। तभी युवक की पुत्री छठीं की छात्रा गुड़ियां कुमारी स्मृति पासवान से लिपट कर फफक-फफक कर रोने लगी। उसे चुप कराते हुए एसपी की पत्नी की आंखों से भी आंसू छलक गए। वे भी बच्चों के साथ रोने लगी। हालांकि उन्होंने तुरंत भागमती, चंदन कुमार, ब्यूटी कुमारी व दिलखुश कुमारी को चुप कराया। बच्चों को हिम्मत रखने के लिए कहा। इधर, एसपी ने पीड़ित परिवार को हर संभव सहायता देने का दिलासा दिया।
बीवी-बच्चों का दुख देख कर रहा हूं आत्महत्या..
बेतिया । बीवी काम करते-करते थक जाती हैं। उसका दुख देखा नहीं जाता। परिवार का हालत देख खुद पर शर्म आता है। क्या कहूं घुट घुट कर जी रहा था..। अब आत्महत्या कर रहा हूं। इसमें परिवार के किसी सदस्य का कोई दोष नहीं है। इसके लिए स्वयं दोषी हूं। कारण कि मेरे ऊपर बहुत कर्ज है। कितना कमाऊंगा, क्या बड़ों का ख्याल रख पाऊंगा। बच्चों को पढ़ाऊं या घर का खर्च चलाऊं..।
मुफस्सिल थाना क्षेत्र के करगहिया गांव में सोमवार को आत्महत्या के बाद सुनील के पास से मिले पत्र का यही आशय था। उसके लिखे पत्र को जब लोगों ने पढ़ा,तो कइयों की आंख से आंसू छलक पड़े। एक हंसता खेलता परिवार युवक की आत्महत्या के कारण तबाह हो गया। सुनील के मार्मिक पत्र ने कई सवाल छोड़ दिया है। सुनील ने आत्महत्या का कारण आर्थिक तंगी और कर्ज का बोझ बताया है।आसपास के लोगों ने बताया कि सुनील चार बच्चों का पिता था। वह अपनी मां और बच्चों के साथ रहता था। बच्चों में तीन पुत्री व एक पुत्र है। सभी सरकारी स्कूल में पढ़ते हैं। सुनील की मौत के बाद उसकी पत्नी पर दुख का पहाड़ टूट पड़ा है। सुनील की मां की पागलों जैसी स्थिति है। पत्नी को बच्चों का पालन-पोषण और शादी ब्याह की ¨चता सता रही है। ग्रामीणों का कहना है कि सुनील कुछ दिनों से गुमशुम रह रहा था। घटना के बाद लोग तरह-तरह की चर्चा कर रहे हैं। गरीबों के लिए सरकार की ओर से चलाए जा रहे विभिन्न योजनाओं की सही क्रियान्वन पर भी घटना ने सवालिया निशान खड़ा कर दिया है। आर्थिक तंगी की वजह से आत्महत्या की घटना में गरीबों के हमदर्द कहलाने वाले समाज के सभ्य लोगों पर भी एक दाग लगा दिया है। हालांकि ऐसा मानने वालों को भी संख्या कम नहीं है जो घटना के लिए सुनील को दोषी मान रहे हैं। उनका मानना है कि जिम्मेदारियों से घबराकर उसने पांव पीछे खींचा है और आत्महत्या का निर्णय लिया।
घटना की सूचना पर पहुंची मुफस्सिल पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए एमजेके अस्पताल भेज दिया है। पुलिस मामले में अस्वाभाविक मौत का मामला दर्ज कर अनुसंधान में जुट गई है। सुनील मजदूरी करता था। उसके पास से सुसाइड नोट भी बरामद किया गया है जिसमें उसने आत्महत्या का कारण कर्ज का बोझ तथा आर्थिक तंगी बताया है। कहा है कि इसमें उसकी पत्नी या अन्य किसी का कोई दोष नहीं है। वह अपनी पत्नी, चार बच्चों और माता के साथ रहता था। ग्रामीणों ने बताया कि मृतक की पत्नी भागमती देवी बेतिया के एक पुलिस अधिकारी के आवास पर दैनिक मजदूरी करती थी। सुनील के चार बच्चे हैं। सबसे बड़ी पुत्री गुड़िया सरकारी विद्यालय में छठे वर्ग की छात्रा है। पुत्र चंदन तथा पुत्री ब्यूटी चौथे वर्ग की छात्रा है। सबसे छोटी पुत्री दिलखुश दूसरे वर्ग में पढ़ती है। एसपी जयंतकांत ने बताया कि सुनील साह के शव को कब्जे में ले पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। मृतक के पास से सुसाइड नोट बरामद हुआ है। इस मामले में मुफस्सिल पुलिस को अस्वाभाविक मौत का मामला दर्ज कर अनुसंधान करने का निर्देश दिया गया है। ग्रामीण सूत्रों के अनुसार भागमती देवी सोमवार की सुबह अपने बच्चों को स्कूल भेजकर घर से काम करने निकली हुई थी। उसका पति सुनील साह एक सप्ताह से काम करने नहीं जा रहा था, वह घर पर ही था। दोपहर को जब बच्चे स्कूल से आए, तो देखा कि पिता फंदे से घर में लटके हुए है। बच्चे रोते हुए बाहर निकले और घटना से ग्रामीणों को अवगत कराया। मामले की जानकारी होते ही पुलिस अधीक्षक जयंतकांत व उनकी पत्नी स्मृति पासवान घटना स्थल पर पहुंची। तब तक मुफस्सिल थानाध्यक्ष उपेन्द्र कुमार व नगर थानाध्यक्ष नित्यानंद चौहान भी वहां पहुंच गए थे।
युवक की बच्ची को गले लगा रो पड़ीं एसपी की पत्नी..
एसपी के घटनास्थल की ओर निकलने की सूचना पर मुफस्सिल पुलिस आईटीआई के पास युवक का घर ढूंढ़ रही थी। तभी एसपी की गाड़ी अरेराज रोड में तेजी से आगे बढ़ी। उन्हें देखते ही मुफस्सिल थानाध्यक्ष भी पीछे लग गए।
गाड़ियों का काफिला युवक के दरवाजे पर जाने वाली संकरी गली के पास रुका। गाड़ी रुकते ही एसपी व उनकी पत्नी तेजी से युवक की घर के तरफ बढ़ गए। एक कमरे वाले घर में शव पड़ा था। अंदर महिलाओं की भीड़ थी।
एसपी की पत्नी भी कमरे के अंदर गयी। कुछ देर बाद शव को बाहर निकाला गया। वहां लोगों की भीड़ जमा थी। तभी युवक की पुत्री छठीं की छात्रा गुड़ियां कुमारी स्मृति पासवान से लिपट कर फफक-फफक कर रोने लगी। उसे चुप कराते हुए एसपी की पत्नी की आंखों से भी आंसू छलक गए। वे भी बच्चों के साथ रोने लगी। हालांकि उन्होंने तुरंत भागमती, चंदन कुमार, ब्यूटी कुमारी व दिलखुश कुमारी को चुप कराया। बच्चों को हिम्मत रखने के लिए कहा। इधर, एसपी ने पीड़ित परिवार को हर संभव सहायता देने का दिलासा दिया।
बीवी-बच्चों का दुख देख कर रहा हूं आत्महत्या..
बेतिया । बीवी काम करते-करते थक जाती हैं। उसका दुख देखा नहीं जाता। परिवार का हालत देख खुद पर शर्म आता है। क्या कहूं घुट घुट कर जी रहा था..। अब आत्महत्या कर रहा हूं। इसमें परिवार के किसी सदस्य का कोई दोष नहीं है। इसके लिए स्वयं दोषी हूं। कारण कि मेरे ऊपर बहुत कर्ज है। कितना कमाऊंगा, क्या बड़ों का ख्याल रख पाऊंगा। बच्चों को पढ़ाऊं या घर का खर्च चलाऊं..।
मुफस्सिल थाना क्षेत्र के करगहिया गांव में सोमवार को आत्महत्या के बाद सुनील के पास से मिले पत्र का यही आशय था। उसके लिखे पत्र को जब लोगों ने पढ़ा,तो कइयों की आंख से आंसू छलक पड़े। एक हंसता खेलता परिवार युवक की आत्महत्या के कारण तबाह हो गया। सुनील के मार्मिक पत्र ने कई सवाल छोड़ दिया है। सुनील ने आत्महत्या का कारण आर्थिक तंगी और कर्ज का बोझ बताया है।आसपास के लोगों ने बताया कि सुनील चार बच्चों का पिता था। वह अपनी मां और बच्चों के साथ रहता था। बच्चों में तीन पुत्री व एक पुत्र है। सभी सरकारी स्कूल में पढ़ते हैं। सुनील की मौत के बाद उसकी पत्नी पर दुख का पहाड़ टूट पड़ा है। सुनील की मां की पागलों जैसी स्थिति है। पत्नी को बच्चों का पालन-पोषण और शादी ब्याह की ¨चता सता रही है। ग्रामीणों का कहना है कि सुनील कुछ दिनों से गुमशुम रह रहा था। घटना के बाद लोग तरह-तरह की चर्चा कर रहे हैं। गरीबों के लिए सरकार की ओर से चलाए जा रहे विभिन्न योजनाओं की सही क्रियान्वन पर भी घटना ने सवालिया निशान खड़ा कर दिया है। आर्थिक तंगी की वजह से आत्महत्या की घटना में गरीबों के हमदर्द कहलाने वाले समाज के सभ्य लोगों पर भी एक दाग लगा दिया है। हालांकि ऐसा मानने वालों को भी संख्या कम नहीं है जो घटना के लिए सुनील को दोषी मान रहे हैं। उनका मानना है कि जिम्मेदारियों से घबराकर उसने पांव पीछे खींचा है और आत्महत्या का निर्णय लिया।
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