बेतिया: खेल और खिलाड़ियों के लिए यह वर्ष मिला जुला रहा। विभिन्न खेलों से जुड़े जिले के खिलाड़ियों ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय फलक पर अपनी मज...
बेतिया: खेल और खिलाड़ियों के लिए यह वर्ष मिला जुला रहा। विभिन्न खेलों से जुड़े जिले के खिलाड़ियों ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय फलक पर अपनी मजबूत दस्तक दी।
अपनी प्रतिभा और कुछ खास लोगों के सहयोग के बलबूते खेल जगत में उन्होंने अच्छा मुकाम हासिल किया। जिले को ऊंचाइयां प्रदान की। गर्व से इतराने का मौका प्रदान किया। मगर, इस साल भी खिलाड़ियों के सहयोग में सरकारी हाथ खाली नजर आए। न तो किसी खिलाड़ी को शासन-प्रशासन की ओर से कोई आíथक मदद मिली और न ही उनके जीवन स्तर में सुधार के लिए कोई प्रोत्साहन नजर आया। अव्वल तो यह कि शासन प्रशासन की उदासीनता ने खिलाड़ियों का फर्राटे भरते सफर में उलटे रोड़े बनकर सामने आए।
मगर, हौंसले व जज्बे के उड़ान ने इस उदासीनता को पीछे छोड़ दिया। कैरम खेल में चनपटिया की सगी बहनें ममता व निशा ने चेन्नई में आयोजित मालदीव कैरम बालिका टेस्ट सीरिज जीत कर एक इतिहास कायम किया। वहीं फुटबॉल के क्षेत्र में जिले की लड़कियों का जलवा रहा। राज्यस्तरीय कई प्रतियोगिता में उनके जौहर की खूब प्रशंसा मिली। कैरम और फुटबॉल के अलावा वालीबॉल क्रिकेट बास्केट बॉल आदि खेलों में भी जिले के खिलाड़यिों ने बेहतर प्रदर्शन करने की कोशिश की कोशिश की। अपनी प्रतिभा में चमक लाने के लिए खिलाड़यिों ने उबड़ खाबड़ खेल मैदानों पर भी अपना पसीना बहाने से नहीं चूके। संसाधनों की कमी के बाद भी खिलाड़ी अपने लक्ष्य को हासिल करते रहे, भले ही उन्हें शासन व प्रशासन की मदद नहीं मिली। चलते-चलते राज्य सरकार ने अपनी खेल सूची से कैरम को बाहर कर दिया, जबकि जिले की बेटियों ने कैरम में पूरे देश में जिले का झंडा बलुंद किया। फुटबॉल् के क्षेत्र में जिले की लड़कियां लड़कों पर भारी रही, हालांकि इस खेल मे लड़कों की भी उपलब्धि धमाकेदार रही। जिले के लड़कियों ने स्कूली नेशनल टूर्नामेंट में जगह बनाया। बीआरए विश्व विद्यालय की टीम में बेतिया की सोनम कुमारी व सुल्ताना ने धमाकेदार इन्ट्री लेने में सफलता पाई। महिला फुटबॉल टीम की सुशीला, प्रीति, पूजा, ममता, सोनम रूपा, अन्तरा, संख्या, काजल आदि ने अन्तरजिला मुकाबले में बेहतर प्रदर्शन कर जिले का नाम रौशन किया। फुटबॉल में लड़कों ने भी दम दिखाया।
बेतिया के कई लड़के स्कूली अंडर 14 नेशनल टीम मे खेल का जौहर दिखलाया। एथलेटिक्स में भी जिले के खिलाड़यिों का जलवा रहा। यहां के कई एथलेटिक्स राज्य तथा राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में बेहतर प्रदर्शन किए।
हाल में ही बगहा के लक्ष्मीपुर के गफ्फार देवान ने दुबई में आयोजित एशियाई युथ चैंपियनशिप में 80देशो के धावकों के बिच गोल्ड, सिल्वर, ब्राऊन मानी के 3मैडल हासिल कर इंटरनैशनल लेवल पर पश्चिमी चम्पारण को गौरवान्वित किया,
कुछ दिन ही पहले बेतिया के दो क्रिकेट खिलाडियों को बिहार क्रिकेट टीम में शामिल किया गया, जिसमे फजल शाह और लोकेश सिंह थे,
कल दिनांक 28दिसंबर2017 को डिस्ट्रिक्ट क्रिकेट मैच में बेतिया के सौरव श्रीवास्त्व ने पहला दोहरा शतक मार के अपनी प्रतिभा दिखाई
सहयोग व चंदा पर चलता रहा खेल-खिलाड़ियों का सफर
खेल को बढ़ावा देने के लिए भले ही जब तक सरकारी बयान आते रहे, लेकिन जिले में इस मामले में सरकारी रूख असरहीन रहा। फोरम लगभग नाकाम दिखा, जो खिलाड़ी आगे बढ़े वे अपने दम पर जोर लगाएं। हां इस क्षेत्र में जुड़े चंद लोग समय-समय पर उनकी मदद को जरुर प्रत्यनशील दिखे। खिलाड़ियों के साथ-साथ आम लोगों को भी सताता रहा। खिलाड़ी सरकारी मदद की राह देखते रहे। सरकारी मदद की उनकी उम्मीद हर बार धराशाई हुआ। अंतत: खिलाड़ी भी यह मान कर मनमसोस चुप रहे कि भले ही सरकारी बयान उनके पक्ष में आते रहे हो, लेकिन धरातल पर जो भी करना पड़ेगा अपने दम पर ही।
कई खिलाड़यिों के अभिभावक आíथंक तंगी के कारण अपने पुत्र व पुत्रियों को खेल से तौबा करने का भी नसीहत दे दिए। यह चंद लोगों का प्रयास रहा कि होनहार खिलाड़यिों को इससे जोड़े रखने में महती भूमिका निभाई। कई बार तो खिलाड़यिों के अभिभावकों से उनको झिड़की भी सुननी पड़ी। अफसोस व शर्मनाक यह कि जिले की प्रतिभावान खिलाड़यिों को भी अपना लक्ष्य हासिल करने के लिए लोगों से सहयोग व चंदा लेने पर मजबूर होना पड़ा। निवर्तमान वर्ष में खेल क्षेत्र से किसी का भी सरकारी नौकरियों में कोई नियोजन नहीं हुआ।
पुराने ढर्रे पर रहा मनोरंजन, ध्रुपद गायकी की धरती पर मरनासन्न रही कला-संस्कृति
किसी जमाने में जिस धरती पर ध्रुपद गायकी जीवंत रही आज उसी धरती पर कला संस्कृति मरनासन्न रही। निवर्तमान वर्ष में कला संस्कृति से जुड़ा कोई भी खास व यादगार आयोजन नजर नहीं आया। कुछ कवि सम्मेलनों की बात छोड़ दी जाय तो जिले में कला संस्कृति का कोई मुकम्मल आयोजन नदारद रहा। जबकि, स्वस्थ मस्तिष्क, मन की शांति और सुकुन के लिए मनोरंजन को जीवन में काफी अहम माना जाता है, लेकिन जिले में मनोरंजन की व्यवस्था पुराने ढर्रे पर ही कायम रही।
कई सिनेमा हॉल पहले से ही बंद पड़े रहे। वे इस वर्ष भी नहीं खुले। कला और संस्कृति के क्षेत्र में पिछड़ापन बरकरार रहा। इस क्षेत्र में कोई आगे नहीं आया। जिसकी पहचान जिले से बाहर गई हो, हालांकि बगहा इलाके के एक-दो हस्तियों ने फिल्म जगत में अपनी धमक जरूर दी, लेकिन अभी भी वे मुकाम के लिए जद्दोजहद में भी लगे दिखे।
अपनी प्रतिभा और कुछ खास लोगों के सहयोग के बलबूते खेल जगत में उन्होंने अच्छा मुकाम हासिल किया। जिले को ऊंचाइयां प्रदान की। गर्व से इतराने का मौका प्रदान किया। मगर, इस साल भी खिलाड़ियों के सहयोग में सरकारी हाथ खाली नजर आए। न तो किसी खिलाड़ी को शासन-प्रशासन की ओर से कोई आíथक मदद मिली और न ही उनके जीवन स्तर में सुधार के लिए कोई प्रोत्साहन नजर आया। अव्वल तो यह कि शासन प्रशासन की उदासीनता ने खिलाड़ियों का फर्राटे भरते सफर में उलटे रोड़े बनकर सामने आए।
![]() |
nakatiaganj football player palvi |
मगर, हौंसले व जज्बे के उड़ान ने इस उदासीनता को पीछे छोड़ दिया। कैरम खेल में चनपटिया की सगी बहनें ममता व निशा ने चेन्नई में आयोजित मालदीव कैरम बालिका टेस्ट सीरिज जीत कर एक इतिहास कायम किया। वहीं फुटबॉल के क्षेत्र में जिले की लड़कियों का जलवा रहा। राज्यस्तरीय कई प्रतियोगिता में उनके जौहर की खूब प्रशंसा मिली। कैरम और फुटबॉल के अलावा वालीबॉल क्रिकेट बास्केट बॉल आदि खेलों में भी जिले के खिलाड़यिों ने बेहतर प्रदर्शन करने की कोशिश की कोशिश की। अपनी प्रतिभा में चमक लाने के लिए खिलाड़यिों ने उबड़ खाबड़ खेल मैदानों पर भी अपना पसीना बहाने से नहीं चूके। संसाधनों की कमी के बाद भी खिलाड़ी अपने लक्ष्य को हासिल करते रहे, भले ही उन्हें शासन व प्रशासन की मदद नहीं मिली। चलते-चलते राज्य सरकार ने अपनी खेल सूची से कैरम को बाहर कर दिया, जबकि जिले की बेटियों ने कैरम में पूरे देश में जिले का झंडा बलुंद किया। फुटबॉल् के क्षेत्र में जिले की लड़कियां लड़कों पर भारी रही, हालांकि इस खेल मे लड़कों की भी उपलब्धि धमाकेदार रही। जिले के लड़कियों ने स्कूली नेशनल टूर्नामेंट में जगह बनाया। बीआरए विश्व विद्यालय की टीम में बेतिया की सोनम कुमारी व सुल्ताना ने धमाकेदार इन्ट्री लेने में सफलता पाई। महिला फुटबॉल टीम की सुशीला, प्रीति, पूजा, ममता, सोनम रूपा, अन्तरा, संख्या, काजल आदि ने अन्तरजिला मुकाबले में बेहतर प्रदर्शन कर जिले का नाम रौशन किया। फुटबॉल में लड़कों ने भी दम दिखाया।
बेतिया के कई लड़के स्कूली अंडर 14 नेशनल टीम मे खेल का जौहर दिखलाया। एथलेटिक्स में भी जिले के खिलाड़यिों का जलवा रहा। यहां के कई एथलेटिक्स राज्य तथा राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में बेहतर प्रदर्शन किए।
हाल में ही बगहा के लक्ष्मीपुर के गफ्फार देवान ने दुबई में आयोजित एशियाई युथ चैंपियनशिप में 80देशो के धावकों के बिच गोल्ड, सिल्वर, ब्राऊन मानी के 3मैडल हासिल कर इंटरनैशनल लेवल पर पश्चिमी चम्पारण को गौरवान्वित किया,
कुछ दिन ही पहले बेतिया के दो क्रिकेट खिलाडियों को बिहार क्रिकेट टीम में शामिल किया गया, जिसमे फजल शाह और लोकेश सिंह थे,
कल दिनांक 28दिसंबर2017 को डिस्ट्रिक्ट क्रिकेट मैच में बेतिया के सौरव श्रीवास्त्व ने पहला दोहरा शतक मार के अपनी प्रतिभा दिखाई
सहयोग व चंदा पर चलता रहा खेल-खिलाड़ियों का सफर
खेल को बढ़ावा देने के लिए भले ही जब तक सरकारी बयान आते रहे, लेकिन जिले में इस मामले में सरकारी रूख असरहीन रहा। फोरम लगभग नाकाम दिखा, जो खिलाड़ी आगे बढ़े वे अपने दम पर जोर लगाएं। हां इस क्षेत्र में जुड़े चंद लोग समय-समय पर उनकी मदद को जरुर प्रत्यनशील दिखे। खिलाड़ियों के साथ-साथ आम लोगों को भी सताता रहा। खिलाड़ी सरकारी मदद की राह देखते रहे। सरकारी मदद की उनकी उम्मीद हर बार धराशाई हुआ। अंतत: खिलाड़ी भी यह मान कर मनमसोस चुप रहे कि भले ही सरकारी बयान उनके पक्ष में आते रहे हो, लेकिन धरातल पर जो भी करना पड़ेगा अपने दम पर ही।
कई खिलाड़यिों के अभिभावक आíथंक तंगी के कारण अपने पुत्र व पुत्रियों को खेल से तौबा करने का भी नसीहत दे दिए। यह चंद लोगों का प्रयास रहा कि होनहार खिलाड़यिों को इससे जोड़े रखने में महती भूमिका निभाई। कई बार तो खिलाड़यिों के अभिभावकों से उनको झिड़की भी सुननी पड़ी। अफसोस व शर्मनाक यह कि जिले की प्रतिभावान खिलाड़यिों को भी अपना लक्ष्य हासिल करने के लिए लोगों से सहयोग व चंदा लेने पर मजबूर होना पड़ा। निवर्तमान वर्ष में खेल क्षेत्र से किसी का भी सरकारी नौकरियों में कोई नियोजन नहीं हुआ।
पुराने ढर्रे पर रहा मनोरंजन, ध्रुपद गायकी की धरती पर मरनासन्न रही कला-संस्कृति
किसी जमाने में जिस धरती पर ध्रुपद गायकी जीवंत रही आज उसी धरती पर कला संस्कृति मरनासन्न रही। निवर्तमान वर्ष में कला संस्कृति से जुड़ा कोई भी खास व यादगार आयोजन नजर नहीं आया। कुछ कवि सम्मेलनों की बात छोड़ दी जाय तो जिले में कला संस्कृति का कोई मुकम्मल आयोजन नदारद रहा। जबकि, स्वस्थ मस्तिष्क, मन की शांति और सुकुन के लिए मनोरंजन को जीवन में काफी अहम माना जाता है, लेकिन जिले में मनोरंजन की व्यवस्था पुराने ढर्रे पर ही कायम रही।
कई सिनेमा हॉल पहले से ही बंद पड़े रहे। वे इस वर्ष भी नहीं खुले। कला और संस्कृति के क्षेत्र में पिछड़ापन बरकरार रहा। इस क्षेत्र में कोई आगे नहीं आया। जिसकी पहचान जिले से बाहर गई हो, हालांकि बगहा इलाके के एक-दो हस्तियों ने फिल्म जगत में अपनी धमक जरूर दी, लेकिन अभी भी वे मुकाम के लिए जद्दोजहद में भी लगे दिखे।
"उम्मीद 2018"
आडिटोरियम के निर्माण की रूपरेखा तैयार
नए वर्ष को लेकर खेल जगत में जुड़े लोगों और खिलाड़ियों को काफी उम्मीद है। उनकी उम्मीद कहा तक पूरी होगी यह तो समय बताएगा, लेकिन इस दिशा में हो रहे प्रयास से संभावना जताई जा रही है कि इस क्षेत्र में नए वर्ष में नई इबादत लिखी जाएगी। शहर में एक आडिटोरियम के निर्माण की रूपरेखा तैयार हो चुकी है।
चम्पारण सत्याग्रह शताब्दी वर्ष के मौके पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा जिला मुख्यालय में एक और बेहतर आडिटोरियम के निर्माण की घोषणा की गई है। जिलाधिकारी निलेश रामचंद देवरे द्वारा उक्त आडिटोरियम के निर्माण की दिशा में पहल भी शुरू कर दी गई। इसके अतिरिक्त कॉलेजों में भी खेल को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं बनाई गई है। इसके साथ ही कला संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए जिले में बड़े आयोजन कराने की भी कोशिश होगी ताकि, नयी पीढ़ी के लोग उससे कुछ सीख सके तथा लोगों का स्वस्थ मनोरंजन हो सके। इन प्रयासों से उम्मीद बलवती हो गई है कि आने वाले वर्ष में खेल के साथ कला संस्कृति के क्षेत्र में जिले में बेहतर प्रयास होगा और इसके कारण जिले का नाम जरूर रोशन होगा।
चम्पारण सत्याग्रह शताब्दी वर्ष के मौके पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा जिला मुख्यालय में एक और बेहतर आडिटोरियम के निर्माण की घोषणा की गई है। जिलाधिकारी निलेश रामचंद देवरे द्वारा उक्त आडिटोरियम के निर्माण की दिशा में पहल भी शुरू कर दी गई। इसके अतिरिक्त कॉलेजों में भी खेल को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं बनाई गई है। इसके साथ ही कला संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए जिले में बड़े आयोजन कराने की भी कोशिश होगी ताकि, नयी पीढ़ी के लोग उससे कुछ सीख सके तथा लोगों का स्वस्थ मनोरंजन हो सके। इन प्रयासों से उम्मीद बलवती हो गई है कि आने वाले वर्ष में खेल के साथ कला संस्कृति के क्षेत्र में जिले में बेहतर प्रयास होगा और इसके कारण जिले का नाम जरूर रोशन होगा।
COMMENTS