मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गुरुवार (17 अगस्त) को गोपालगंज, बगहा, बेतिया, रक्सौल तथा मोतिहारी का हवाई सर्वेक्षण कर बाढ़ग्रस्त इलाकों का जायजा...
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गुरुवार (17 अगस्त) को गोपालगंज, बगहा, बेतिया, रक्सौल तथा मोतिहारी का हवाई सर्वेक्षण कर बाढ़ग्रस्त इलाकों का जायजा लिया. मुख्यमंत्री ने बेतिया हवाई अड्डा स्थित हेलीपैड पर पश्चिम चम्पारण जिले में आयी बाढ़ के उपरान्त जिला प्रशासन द्वारा चलाये जा रहे राहत एवं बचाव कार्यों की स्थिति का जायजा लिया. उन्होंने कहा कि पश्चिम चम्पारण में फ्लैश फ्लड के चलते तबाही हुयी है.
नीतीश जी का हेलीकॉप्टर बेतिया ITI में बने हेलीपैड पर उतरा..
फिर वो वहां से सीधे टाउन हॉल पहुंचे, बाढ़ राहत सामग्री के पैकेटों का लिया जाएजा, और साथ अधिकारियों को कोई भी कमी न रहने देने का दिया निर्देश..
टाउन हॉल के बाद मुख्यमंत्री सिर्किट हाउस पहुंचे जहाँ उन्होंने डीएम, एस पी, तथा अन्य अधिकारीयों के साथ बैठक की..मुख्यमंत्री ने राहत एवं बचाव कार्य तीव्र गति से चलाने एवं हर जरूरतमंद लोगों को त्वरित मदद पहुंचाने का निर्देश दिया. उन्होंने बेतिया नगर भवन स्थित इनडोर स्टेडियम पहुंचकर वहां बाढ़ पीड़ितों के लिये तैयार किये जा रहे फूड पैकेट कार्य का भी निरीक्षण किया और वरीय अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिया. इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह, वन एवं पर्यावरण प्रधान सचिव सह प्रभारी सचिव पश्चिम चम्पारण विवेक कुमार सिंह, मुख्यमंत्री के सचिव अतीश चन्द्रा, जिलाधिकारी बेतिया डां नीलेश देवरे, पुलिस अधीक्षक बेतिया विनय कुमार सहित अन्य वरीय अधिकारी उपस्थित थे.
नीतीश जी का हेलीकॉप्टर बेतिया ITI में बने हेलीपैड पर उतरा..
फिर वो वहां से सीधे टाउन हॉल पहुंचे, बाढ़ राहत सामग्री के पैकेटों का लिया जाएजा, और साथ अधिकारियों को कोई भी कमी न रहने देने का दिया निर्देश..
टाउन हॉल के बाद मुख्यमंत्री सिर्किट हाउस पहुंचे जहाँ उन्होंने डीएम, एस पी, तथा अन्य अधिकारीयों के साथ बैठक की..मुख्यमंत्री ने राहत एवं बचाव कार्य तीव्र गति से चलाने एवं हर जरूरतमंद लोगों को त्वरित मदद पहुंचाने का निर्देश दिया. उन्होंने बेतिया नगर भवन स्थित इनडोर स्टेडियम पहुंचकर वहां बाढ़ पीड़ितों के लिये तैयार किये जा रहे फूड पैकेट कार्य का भी निरीक्षण किया और वरीय अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिया. इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह, वन एवं पर्यावरण प्रधान सचिव सह प्रभारी सचिव पश्चिम चम्पारण विवेक कुमार सिंह, मुख्यमंत्री के सचिव अतीश चन्द्रा, जिलाधिकारी बेतिया डां नीलेश देवरे, पुलिस अधीक्षक बेतिया विनय कुमार सहित अन्य वरीय अधिकारी उपस्थित थे.
कहीं प्रशासनिक चूक से तो नहीं टूटा जमींदारी बांध
बेतिया। सिकरहना नदी पर बनाया गया जमींदारी बांध के टूटने के पीछे कहीं प्रशासनिक चूक तो नहीं है। बाढ़ पीड़ितों के जेहन में यह सवाल जवाब का इंतजार कर रहा है। आखिर करें भी तो कैसे नहीं। मझौलिया प्रखंड को जिले का सबसे बड़ा प्रखंड माना जाता है, जो 29 पंचायतों का प्रखंड है। इसमें से महनवा, भोगाड़ी, बथना, सेमरा, डुमरी, महनावा, गुदरा, सरिसवा, रतनमाला, महोदीपुर, बैठनिया, नौतन खुर्द, परसा, बहुअरवा, मझौलिया समेत करीब 15 पंचायत बाढ़ की मार झेल रहा है। कहीं पर लोग असहाय बन कर अपने गाढ़ी कमाई से बने आशियाने को बाढ़ की जलधारा में समाहित होने का ²श्य देखने को विवश है। कहीं पर किसी मां की कोख सुनी हो रही है तो कही पर सुहागन अपने माथे का ¨सदूर पोछने के लिए विवश है। लोग अपने पशुधन को सुरक्षित ठिकाने पर पहुंचा रहे है। कुछ लोगों के मवेशी बाढ़ के पानी के कारण अकाल मौत के शिकार हो गये। हजारों एकड़ में लहलहा रहे धान के फसल पानी में जल समाधि ले लिया। लोग विवश व तमाशाबीन की भूमिका है। अपनी जान बचाने की मजबूरी है। पर बांध टूटा कैसे इसकी भी उच्चस्तरीय जांच की जरुरत है। यहां
बता दें कि वर्ष 1964 में तत्कालीन विधायक हरगुन शाही ने मझौलिया प्रखंड को सिकरहना नदी से बचाने के लिए उसपर जमींदारी बांध का निर्माण कार्य कराया। कार्य की गुणवता ऐसी रही कि करीब 35 वर्ष तक नदी की तेज धारा बांध का कुछ भी नहीं कर सकी। 1986 में आई बाढ़ से कुछ जगहों पर बांध क्षतिग्रस्त हो गया। वर्ष 1999 में तत्कालीन विधायक बीरबल यादव ने करीब 16 लाख की लागत से पुन: बांध का जीर्णोद्धार कार्य कराया। उस समय यह क्षेत्र बेतिया विधानसभा के अधीन था। अब यह चनपटिया विधानसभा क्षेत्र में है। जानकार बताते हैं कि बीच बीच में कई पंचायतों के द्वारा मनरेगा व नरेगा के तहत भी बांध पर कार्य कराया गया। पर कार्य कि गुणवता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि आज प्रखंड की करीब आधी आबादी बाढ़ की विभीषिका की मार झेल रहा है। लोग रतजग्गा करने को विवश है। चारों तरफ भय का माहौल है। लोगों में वर्ष भर के भोजन की ¨चता सता रही है। फिलहाल पीने का पानी व दो वक्त की रोटी का इंतजार है। मुख्यालय से सड़क का संपर्क भी भंग हो गया है। पानी अभी भी कम होने का नाम नहीं ले रहा है। लोग ज्यों ही आसमान में काले बादल को देख रहे है उनकी धड़कनें और भी तेज हो जा रही है।
मझौलिया, संवाद सूत्र : पश्चिम व पूर्वी चंपारण की सीमा से सटे मझौलिया प्रखंड की गुदरा पंचायत फिलहाल टापू में तब्दील हो गया है। गांव का सड़क संपर्क चारों तरफ से भंग हो गया हे। गांव की करीब दो हजार की आबादी जल संकट से जूझ रहा है। लोगों के घरों में सिकरहना नदी का पानी प्रवेश कर गया है। न तो वहां के लोग प्रखंड मुख्यालय मझौलिया पहुंचने की स्थिति में है और नहीं पूर्वी चंपारण का सुगौली बाजार ही आ जा सकते है। रोजमर्रा की सामानों के बगैर ही उनकी दिन व रात किसी तरह भगवान के भरोसे चल रहा है। सर्वाधिक परेशानी तो पीने के पानी को लेकर है। कारण कि सभी हैंडपंप पानी में डूब गये है। ऐसे में लोगों को ठिक से पीने का पानी भी नहीं मिल रहा है। बता दें कि गांव में अगर किसी विभाग में कर्मियों की तैनाती है तो वे इस दुरूह गांव में जाने से कतराते है। अभी तो पूरे गांव में आने जाने का कोई भी साधन नहीं है। यहां के लोग अपने किस्मत को कोस रहे है। इसी बीच किसी भी तरह वहां पर प्रखंड प्रमुख पुत्र सह पूर्व मुखिया सुरेन्द्र साह, उपप्रमुख नंदकिशोर यादव, थानाध्यक्ष ओपी चौहान, हल्का कर्मचारी सुनील ¨सह किसी तरह गुदरा पहुंच कर बाढ़ की स्थिति का मुयाअना किया। बता दें कि भले ही यह पंचायत छोटा है पर यहां के पूर्व प्रमुख श्रीकांत प्रसाद, बैधनाथ प्रसाद रह चुके है। फिलहाल उप प्रमुख भी इसी पंचायत के है। फिर भी यातायात सुविधा के मामले में पंचायत काफी पीछे है। यहां के लोग आज भी अपने रोजमर्रा की सामानों की खरीद पूर्वी चंपारण के सुगौली में ही करते है। कारण कि यह सुगौली से समीप है। जबकि मझौलिया से करीब दस किमी की दूरी पर स्थित है।
बाढ़ से 40 की मौत, सुगौली स्टेशन पर पानी
बेतिया : जिले में आयी बाढ़ भारी तबाही मचा रही है. नरकटियागंज, मैनाटांड़, साठी, गौनाहा, सिकटा, मझौलिया व बगहा समेत अन्य प्रखंडों में लगातार पानी बढ़ रहा है. हालांकि, चनपटिया समेत कुछ प्रखंडों में पानी थोड़ा कम हुआ है, लेकिन हालात अभी सामान्य नहीं हुए हैं. इसी बीच जिले में बाढ़ के पानी में डूबने से मरनेवालों की संख्या में भारी इजाफा हुआ है. पिछले 24 घंटे के दौरान जिले में डूबने से एक युवती समेत 11 की मौत की सूचना है. करीब 50 लोग लापता बताये जा रहे हैं. इसमें गौनाहा व सिकटा सर्वाधिक प्रभावित हैं. अब तक जिले में बाढ़ से मरनेवालों की संख्या करीब 26 हो गयी है. जबकि प्रशासन के रिकॉर्ड में मंगलवार तक नौ मौतें ही दर्ज हैं.
बाढ़ के पानी में बह कर मरनेवालों में सिकटा के गौरीपुर मुरली निवासी तौहिद आलम, वसीम अकरम व भुवन टोला निवासी अनुवास शामिल हैं. चनपटिया के पुरैना बाजार में लखन साह, जान मियां, योगापट्टी के बगही पुरैना में रवि कुमार व नौतन में एक युवती की मौत डूबने से हो गयी. नरकटियागंज में भी एक अज्ञात समेत तीन की मौत हुई है. साठी में इलाज के अभाव में एक की मौत हुई है. इससे बाढ़ प्रभावित इलाकों के लोग दहशत में हैं. इधर, बुधवार को जिले के प्रभारी सचिव विवेक कुमार सिंह ने अधिकारियों के साथ बैठक कर बाढ़ राहत जरूरतमंद तक पहुंचाने का निर्देश दिया. बेतिया में कैंप कर रहे श्री सिंह ने डीएम व एसपी
बाढ़ से 40 की
को हरसंभव सहयो
देने का आदेश दिया है. वहीं, राहत केंद्रों पर डॉक्टरों की तैनाती करने को कहा है.
गोरखपुर से मंगवाया गया हेलीकाप्टर
जिले में बाढ़ का पानी नये इलाकों में घुसने लगा है. बाढ़ प्रभावित इलाकों में सड़कों के क्षतिग्रस्त व रास्ते बंद होने के कारण प्रशासन को भी राहत सामग्री भेजने में भारी परेशानी हो रही है. गोरखपुर से एक हेलीकाप्टर मंगाया गया है, जो राहत सामग्री लेकर जिले के सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्रों में राहत सामग्री गिरा रहा है.
अब बेतिया भी रेलमार्ग से कटा
बगहा, नरकटियागंज के बाद अब बेतिया जिला मुख्यालय भी रेल मार्ग से पूरी तरह कट चुका है. न तो मुजफ्फरपुर से ट्रेनें बेतिया आ रही हैं और न ही गोरखपुर की तरफ से. पूर्वी चंपारण के सुगौली जंक्शन पर पानी भर जाने के चलते यह परेशानी आयी है. फिलहाल बेतिया से मुजफ्फरपुर व पटना जाने के लिए बस ही एकमात्र विकल्प बचा है. बुधवार को मुजफ्फरपुर-गोरखपुर रेलखंड पर परिचालन बंद रहा. सभी ट्रेनों का रूट बदल दिया गया है. जबकि मुजफ्फरपुर से चंपारण एक्सप्रेस, सवारी गाड़ी का परिचालन बेतिया तक किया गया. लेकिन सुगौली रेलखंड पर पानी लग जाने से मोतिहारी तक ही ट्रेनें आयीं.
ट्रेनों के परिचान बंद रहने के कारण आमलोगों को भारी परेशानी उठानी पड़ रही है. स्टेशन अधीक्षक विनय कुमार श्रीवास्तव का कहना है कि विभागीय आदेश के कारण कई ट्रेनों का रूट बदल दिया गया है.
बाढ़ ने मचायी तबाही, बेितया, मधुबनी व दरभंगा में कई जगह टूटे नदियों के तटबंध
पांच ट्रेनों का परिचालन मोतिहारी तक
मुजफ्फरपुर. नेपाल से सटे उत्तर बिहार के जिलों में आयी बाढ़ व लगातार हो रही बारिश के कारण अब मुजफ्फरपुर से मोतिहारी तक ही ट्रेनों का परिचालन होगा. जगह-जगह मोतिहारी व बेतिया के बीच रेलवे स्टेशन व ट्रैक पर पानी चढ़ जाने के कारण पूर्व मध्य रेल ने मोतिहारी तक ही ट्रेनों के परिचालन का निर्देश जारी किया है.
मंगलवार को मिथिला एक्सप्रेस के बेतिया में बाढ़ के कारण फंस जाने के कारण डाउन ट्रेन रद्द रही. वहीं बुधवार को हावड़ा से आयी अप मिथिला एक्सप्रेस मोतिहारी तक ही गयी. बाद में 13022 मिथिला एक्सप्रेस को मोतिहारी से ही हावड़ा के लिए रवाना किया गया. इसके अलावा सवारी ट्रेनों को भी अब मुजफ्फरपुर से मोतिहारी तक ही चलाया जा रहा है.
पूर्व मध्य रेल ने भी बाढ़ की भयावह स्थिति को देखते हुए बुधवार को कुछ और ट्रेनाें को रद्द करते हुए रुट में फेरबदल किया है. गाड़ी संख्या 13043 हावड़ा-रक्सौल एक्सप्रेस का आंशिक समापन दरभंगा में कर दिया गया है. दरभंगा से ही अब 13044 रक्सौल-हावड़ा एक्सप्रेस खुलेगी. गाड़ी संख्या 12545 रक्सौल-लोकमान्य तिलक एक्सप्रेस अगले आदेश तक दरभंगा से ही खुलेगी. वहीं गाड़ी संख्या 15724 सीतामढ़ी-न्यू जलपाईगुड़ी एक्सप्रेस को पूर्व मध्य रेल ने फिलहाल रद्द कर दिया है.
मंगलवार को मिथिला एक्सप्रेस के बेतिया में बाढ़ के कारण फंस जाने के कारण डाउन ट्रेन रद्द रही. वहीं बुधवार को हावड़ा से आयी अप मिथिला एक्सप्रेस मोतिहारी तक ही गयी. बाद में 13022 मिथिला एक्सप्रेस को मोतिहारी से ही हावड़ा के लिए रवाना किया गया. इसके अलावा सवारी ट्रेनों को भी अब मुजफ्फरपुर से मोतिहारी तक ही चलाया जा रहा है.
पूर्व मध्य रेल ने भी बाढ़ की भयावह स्थिति को देखते हुए बुधवार को कुछ और ट्रेनाें को रद्द करते हुए रुट में फेरबदल किया है. गाड़ी संख्या 13043 हावड़ा-रक्सौल एक्सप्रेस का आंशिक समापन दरभंगा में कर दिया गया है. दरभंगा से ही अब 13044 रक्सौल-हावड़ा एक्सप्रेस खुलेगी. गाड़ी संख्या 12545 रक्सौल-लोकमान्य तिलक एक्सप्रेस अगले आदेश तक दरभंगा से ही खुलेगी. वहीं गाड़ी संख्या 15724 सीतामढ़ी-न्यू जलपाईगुड़ी एक्सप्रेस को पूर्व मध्य रेल ने फिलहाल रद्द कर दिया है.
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